भामाशाह कावड़िया (ओसवाल) (जन्म: 1542, देहावसान: 1600 AD) मेवाड़ के एक धनी साहूकार और महाराणा प्रताप सिंह तथा उनके बेटे महाराणा अमर सिंह के मंत्री थे। 1576 के हल्दीघाटी की लड़ाई के बाद महाराणा, अपने परिवार और नायकों के साथ, अरावली के एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ तक भागते हुए, बिना पर्याप्त साधन और सहयोग के, अकबर के साथ गुरिल्ला युद्ध करते रहे। किन्तु 1580 के आसपास जब उनके सभी साधान ख़त्म हो गए और उन्होंने यह समझ लिया कि संगठित सैन्य शक्ति के भाव में अकबर के साथ मुकाबला करना मुश्किल है, तब उन्होंने मेवाड़ छोड़ कर थार के उस पार सोग्दोई प्रवास का फैसला किया। इसी समय भामाशाह ने मेवाड़ की खोयी हुई प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना के लिए, अपने पुरखो और स्वयं के द्वारा अर्जित सारी संपत्ति महाराणा प्रताप को समर्पित कर दी, जो 12 वर्षों तक पच्चीस हजार सैनिकों के रख रखाव के लिए पर्याप्त थी। इसी अद्वितीय दान के बदौलत राणा ने पुनः सेना का गठन कर, चित्तौड़, अजमेर और मंडलगढ़ को छोड़ मेवाड़ के अन्य सभी किलों को मुगलों से मुक्त किया जिससे मेवाड़ की स्वतंत्रता कायम रही, और ‘इतिहास में भामाशाह का नाम “मेवाड़ के तारणहार” के रूप में सदा के लिए अमर हो गया (कर्नल जेम्स टॉड के शब्दों में “The name of Bhama Sah is preserved as the saviour of Mewar”)। देश के लिए राष्ट्रभक्त वीरों के प्राणोत्सर्ग के अनेको उदहारण मिलते हैं, किन्तु भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के इतिहास में भामाशाह के इस महान त्याग और दानवीरता के समान कोई दूसरा उदहारण नहीं मिलता। भामाशाह का त्याग, देशप्रेमियों के लिए प्रेरणा और देशद्रोहियों के लिए भर्त्सना का कालातीत सन्देश है। फेसेस, पटना इसी सन्देश को नाटक के रूप में दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत कर दानवीर वैश्य-कुल-भूषण भामाशाह के प्रति सम्मान प्रकट करता है।

लेखक : डॉ. छोटू नारायण सिंह

निर्देशक : सुनिता भारती

प्रस्तुतकर्ता : फेसेस (फाउंडेशन फॉर आर्ट कल्चर एथिक्स एंड साइंस), पटना।
भामाशाह : रिपोर्ट
कलाकार

भामाशाह: मिथिलेश कुमार सिन्हा

Sunita Bharti

महारानी अजबदे पंवार एवं खुद्दीराम की पत्नी: सुनीता भारती

महाराणा प्रताप सिंह : अंशुमन कुमार

खुद्दीराम : कुमुद रंजन

तफज्जुल हुसैन : डॉ. शंकर सुमन

रहमत : आर. नरेन्द्र

काले खां : विशाल कुमार

बख्त खां और मुनादी वाला: रोहन मिश्र

मुनादी वाला: अंकित कुमार

असलम : चिन्मय माजी

संगीत : शुभम सिंह

जुम्मन : मो.सदरुद्दीन